Tuesday, December 16, 2008

क्या देश के हमलावर को कानूनी मदद मिलनी चाहिए

मुंबई मैं हुई आतंकवादी घटनाओं के बाद मुंबई सहित अनेक महानगरों में नागरिकों ने प्रदर्शन कर अपना गुस्सा नेताओं पर निकाला और लोगो ने पूरे सिस्टम को बदलने की वकालत की। अर्थात लोगों ने सीधा सीधा सरकार पर हमला न करके सीधा लोकतंत्र प्रणाली पर ही हमला बोल दिया। मीडिया ने भी इसे खूब उछाला । लेकिन उन्ही हमलावरों से एक जो पकड़ा गया है की तरफ़ से पैरवी करने के लिए एक वकील साब तैयार हो गए हैं। कुछ तथा कथित कानून के जानकार और मीडिया इसे सही बता रहे हैं। सबाल उठता है की देश पर हमला करने वालों को क्या कानूनी मदद मिलनी चाहिए ? मेरे अनुसार तो उस हमलावर से आवश्यक पूछताछ करके सीधे फांसी पर लटका देना चाहिए । आप क्या सोचते हैं?

Friday, December 5, 2008

असफल साबित हुई है केन्द्र की UPA सरकार

देश में लगातार हो रही आतंकवादी घटनाओं से लगता है, जैसे केन्द्र की कांग्रेस नीत UPA सरकार ने आतंकवादिओं के सामने घुटने टेक दिए हों। देश हित में अच्छा होगा की UPA सरकार अब चली जाए और दूसरे को मौका मिले । संसद के हमलावर अफजल को अभी तक फाशी न देने से भी यह जाहिर होता है की कांग्रेस वोट बैंक की खातिर देश को भी गिरबी रख सकती है । अल्पसंख्यकों के दबाव में आकर केन्द्र की यूपीए सरकार ने आतंकवाद से लड़ने वाले पोता कानून को भी ख़तम कर दिया । कौन कहता है की सभी मुस्लमान आतंकवादी होते हैं लेकिन विचारणीय प्रश्न यह है की सभी आतंकवादी मुस्लमान क्यों होते हैं?
आर्थिक मोर्चे पर भी यह सरकार असफल साबित हुई है। सुरसा के मुह की तरह देश में महगाई बदती जा रही है। चिदंबरम सबसे ज्यादा फेल वित्त मंत्री साबित हुए हैं अब उन्हें ग्रह मंत्री बनाया गया है । एक फेल व्यक्ति से ज्यादा उम्मीद नहीं की जा सकती है। देश हित में अच्छा होगा की समय पूर्व लोकसभा चुनाव करा लिए जायें और नई सरकार का गठन कर लिया जाए।