Saturday, February 26, 2011

भोपाल का नाम भोजपाल किया जाये क्यांेकि इस शहर की स्थापना परमार वंश के राजा भोज की थी। महाराजा भोज केवल एक शासक ही नहीं अपितु समाज में शिक्षा, संस्कार के प्रतिष्ठापक भी थे। उनके द्वारा प्रकृति के संरक्षण, जल के संचय और शिक्षा के प्रसार के लिए किए गए कार्यों की तुलना विश्व में कहीं नहीं है। समस्त शोधों और अनुसंधानों से यह प्रमाणित हो चुका है कि भोपाल का असली नाम भोजपाल ही है जो समय की धूल से दूषित होकर भोपाल रह गया है। वैसे भी भोपाल शब्द अपभ्रंश है, अधूरा है, अर्थहीन है और नकारात्मक भी है। प्रदेश की राजधानी का नाम सकारात्मक होना चाहिए। संसार में ऐसे अनेक उदाहरण हैं जब समाज में स्वतंत्र बोध की समझ आते ही नगरों या प्रतीकों के नाम बदले गये हैं। जैसे कि हमारे ही देश में मद्रास का नाम चैन्नई, बम्बई का मुम्बई, कलकत्ता का कोलकाता और बंेगलोर का बंगलुरू हो गया। तो भोपाल का भोजपाल क्यों नहीं हो सकता है। भोपाल के युवा विधायक विश्वास सारंग ने इसके लिए एक हस्ताक्षर अभियान चलाया है। भोपाल शहर के सभी निवासियांे से निवेदन है कि हस्ताक्षर कर भोपाल का नाम भोजपाल करने में सहयोग करें।

Wednesday, October 27, 2010

यह भारत है यहाँ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर कुछ भी होता है जैसे - किसी को धर्म निरपेक्ष कहलाना है तो बहुसंख्यकों को गाली देना शुरू कर दो , अपनी पेंटिंग मंहगे daamo me bechna है तो किसी devi-devta की nagn पेंटिंग bana दो , desh bhakton को jel me dala jata है aur deshdrohi shhabuddin के encounter की janch hoti है, sansad के hamlavar को fansi na diye jane की vakalaat hoti है, videshi dhan kha कर vikas karyon ka birodh kiya jata है, kahlate payavaranvid hain lekin panchmadi के pratibandit kshetra me ghar banate hain . kal koi pagal यह भी kah sakta है की भारत ka vilay pakistan me कर दो

Thursday, September 17, 2009

tharoor ko jan pratinidh

videsh seva ke poorva adhikari shashi tharoor sambhavta ese vatavaran me pale-bade hain jahan abhijatya varg ka pakhandmay aacharan hee sarvopari hota hai aur jahan sirph dhankuberon ko insan samjha jata hai aur samany aarthik sthiti ke logon ko eesi hikarat bhari najaron se dekha jata hai mano ve insan nahi balki janvar hon. yahi karan hai ki aam aadami ki is ikanomi sreni ko ve maveshi sreni ki sangya dete hain.kendriya mantri ki haisiyat se aam aadami ki pahunch se bahar panch sitara hotalon men mahine eeso-aaram se rahne vale tharoor ko is bat ka darasal koi hak nahin hai ki ve janbhavnaon evam janakanxaon ko pratibinbit karne vali sansad evam mantrimandal men bataur jan pratinidhi hissedari karen.

Wednesday, September 9, 2009

mandi aur sookhe se joochh rahe desh ke mantri mauj karate panch sitara me

mandi aur sookhe ki mar jhel rahe desh me mantri kar rahe aish

desh me kam varsha ke chalate sookhe ki stithi utpanna ho gayi hai.mandi ke chalte vaise hi berojgari hai.mangai surasa ke munh ki tarah badi hui hai. aise me kendra sarkar ke do mantri panch sitara hotal me dera jamakar lakhon ka choona janta ke paise par laga rahe hain.kya aise logon ko mantri rahne ka hak hai.

Tuesday, December 16, 2008

क्या देश के हमलावर को कानूनी मदद मिलनी चाहिए

मुंबई मैं हुई आतंकवादी घटनाओं के बाद मुंबई सहित अनेक महानगरों में नागरिकों ने प्रदर्शन कर अपना गुस्सा नेताओं पर निकाला और लोगो ने पूरे सिस्टम को बदलने की वकालत की। अर्थात लोगों ने सीधा सीधा सरकार पर हमला न करके सीधा लोकतंत्र प्रणाली पर ही हमला बोल दिया। मीडिया ने भी इसे खूब उछाला । लेकिन उन्ही हमलावरों से एक जो पकड़ा गया है की तरफ़ से पैरवी करने के लिए एक वकील साब तैयार हो गए हैं। कुछ तथा कथित कानून के जानकार और मीडिया इसे सही बता रहे हैं। सबाल उठता है की देश पर हमला करने वालों को क्या कानूनी मदद मिलनी चाहिए ? मेरे अनुसार तो उस हमलावर से आवश्यक पूछताछ करके सीधे फांसी पर लटका देना चाहिए । आप क्या सोचते हैं?

Friday, December 5, 2008

असफल साबित हुई है केन्द्र की UPA सरकार

देश में लगातार हो रही आतंकवादी घटनाओं से लगता है, जैसे केन्द्र की कांग्रेस नीत UPA सरकार ने आतंकवादिओं के सामने घुटने टेक दिए हों। देश हित में अच्छा होगा की UPA सरकार अब चली जाए और दूसरे को मौका मिले । संसद के हमलावर अफजल को अभी तक फाशी न देने से भी यह जाहिर होता है की कांग्रेस वोट बैंक की खातिर देश को भी गिरबी रख सकती है । अल्पसंख्यकों के दबाव में आकर केन्द्र की यूपीए सरकार ने आतंकवाद से लड़ने वाले पोता कानून को भी ख़तम कर दिया । कौन कहता है की सभी मुस्लमान आतंकवादी होते हैं लेकिन विचारणीय प्रश्न यह है की सभी आतंकवादी मुस्लमान क्यों होते हैं?
आर्थिक मोर्चे पर भी यह सरकार असफल साबित हुई है। सुरसा के मुह की तरह देश में महगाई बदती जा रही है। चिदंबरम सबसे ज्यादा फेल वित्त मंत्री साबित हुए हैं अब उन्हें ग्रह मंत्री बनाया गया है । एक फेल व्यक्ति से ज्यादा उम्मीद नहीं की जा सकती है। देश हित में अच्छा होगा की समय पूर्व लोकसभा चुनाव करा लिए जायें और नई सरकार का गठन कर लिया जाए।